गीता नाट्यशास्त्र की पांडुलिपि बनी विश्व धरोहर : श्रीकृष्ण के उपदेशों पर आधारित तथा महर्षि वेद व्यास के द्वारा संकलित भगवत गीता और भरत मुनि के नट्य शास्त्र को यूनेस्को ने विश्व स्मृति रजिस्टर ( Memory of the world Register) में शामिल कया है। इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में अब तक भारत के 14 शिलालेखो को किया गया है।
विश्व की दस्तावेजी विरासत का संकलन
गीता नाट्यशास्त्र की पांडुलिपि बनी विश्व धरोहर : संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन, UNESCO ने 1992 में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MOW) कार्यक्रम शुरू किया था, जिसका उद्देश्य सामूहिक विस्मृति से बचाव करना, दुनिया भर में मूल्यवान अभिलेखीय सामग्री और पुस्तकालय संग्रह के संरक्षण का आह्वान करना और उनका व्यापक प्रसार सुनिश्चित करना था
कार्यक्रम की वेबसाइट पर कहा गया है, विश्व की दस्तावेजी विरासत सभी की है, इसे सभी के लिए पूरी तरह से संरक्षित और सुरक्षित रखा जाना चाहिए तथा सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और व्यावहारिकताओं को उचित मान्यता देते हुए इसे बिना किसी बाधा के सभी के लिए स्थायी रूप से सुलभ होना चाहिए।
अब तक इस रजिस्टर में 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े शोधों व उपलब्धियों सहित 570 पांडुलिपियों को जगह दी जा चुकी है।
ऋग्वेद भी शामिल
यूनेस्को ने 74 पांडुलिपियों को विश्व धरोहर दिवस के दिन मेमोरी रजिस्टर में शामिल किया है। इस रजिस्टर में ऋग्वेद सहित देश के करीब दर्जनभर प्राचीन ग्रंथों और पांडुलिपियों को पहले से ही शामिल किया जा चुका है
श्रीमद्भगवद् गीता
महाभारत के भीष्मपर्व में शामिल हिंदुओं के इस पवित्र ग्रंथ के 18 अध्यायों में 700 से अधिक श्लोक हैं। महाभारत के रणक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने वीर योद्धा अर्जुन को जो उपदेश दिए हैं, वही ‘श्रीमद्भगवद् गीता’ है। इस प्राचीन हिंदू ग्रंथ को दुनिया भर में बड़ी श्रद्धा से देखा जाता है और देश-विदेश की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद भी किया गया है। यूनेस्को में गीता की 1875-76 की टीका को भेजा गया है। राजानकराम की लिखी यह पांडुलिपि शारदा लिपि में है।
भरत मुनि का नाट्यशास्त्र
भरत मुनि रचित यह प्राचीन ग्रंथ भारतीय कलाओं का मूल ग्रंथ माना जाता है। नाट्यशास्त्र में लिखा है कि बिना रस के शब्दों को भाव और अर्थ नहीं मिलते है। नाटक का मंचन अभिनय, रस, भाव, संगीत आदि के जरिये होता है जिससे भारतीय नाट्यकला, काव्य, नृत्य व संगीत आदि की रचना होती है। भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य की उत्पत्ति इस ग्रंथ से हुई। इन रचनात्मक कलाओं के 36 हजार श्लोकों को मौखिक रूप से कंठस्थ किया जाता था। इसकी 1874-75 की हस्तलिखित पांडुलिपि को यूनेस्को में भेजा गया है।
पीएम मोदी ने शेयर किया पोस्ट
विश्व धरोहर दिवस पर यूनेस्को के स्मृतिकोष में दर्ज होने की घोषणा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जाहिर की और दुनिया भर में रहने वाले हरेक भारतीय के लिए इसे गर्व का पल बताया। उन्होंने कहा,दोनों महाग्रंथों को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान व समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।
अब तक भारत की तीन पांडुलिपियों को विश्व यूनेस्को धरोहर सूची में शामिल किया गया है। ये पांडुलिपियां हैं।
1. ऋग्वेद पांडुलिपियां
ये भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे में संरक्षित 30 पांडुलिपियां हैं, जिन्हें 2007 में यूनेस्को की “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड” रजिस्टर में जोड़ा गया था।
2. श्रीरामचरितमानस पांडुलिपियां
इन तीनों पांडुलिपियों को सितंबर 2023 में नॉमिनेशन के तौर पर नामांकित किया गया था और बाद में यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड के क्षेत्रीय रजिस्टर में शामिल किया गया था।
3. धौलवीर
यह एक प्राचीन शहर है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड” रजिस्टर यूनेस्को की एक विशेष सूची है जो महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची से अलग है, जो भौतिक स्थलों और इमारतों को सूचीबद्ध करती है।
बहुत ही सुन्दर संकलन..! श्रीमद्भागवत गीता की पांडुलिपि विश्व धरोहर में शामिल होना शुभ संकेत है इसकी अभिप्रेरणा से पूरा विश्व एक सूत्र में बंध कर पुनः कुटुम्बकम स्थापित हो यही मंगलमयी शुभकामना।
प्रणाम 🙏🙏
भगवद् गीता और नाट्य शास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों को यूनेस्को द्वारा विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व की बात है। यह न केवल इन ग्रंथों के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि उनके संरक्षण और प्रचार को भी सुनिश्चित करता है। भगवद् गीता के उपदेश आज भी मानवता के लिए प्रासंगिक हैं और नाट्य शास्त्र ने भारतीय कलाओं को नई दिशा दी है। यह जानना दिलचस्प है कि इन ग्रंथों को किस प्रकार विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में अनुवादित किया गया है। क्या यह कदम विश्व स्तर पर भारतीय ज्ञान और कला को और अधिक प्रसारित करेगा?
यह बहुत ही गर्व की बात है कि भगवत गीता और नाट्य शास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों को यूनेस्को ने विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया है। ये ग्रंथ न केवल भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, बल्कि पूरी मानवता के लिए ज्ञान का भंडार हैं। भगवत गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश आज भी जीवन को सही दिशा देने में सहायक हैं। नाट्य शास्त्र ने भारतीय कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। क्या इन ग्रंथों को विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल करने से उनकी प्रासंगिकता और बढ़ गई है?