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Railway Waiting Ticket Rules – रेलवे सफर करने वाले लाखों यात्रियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। 1 जुलाई 2025 से रेलवे ने अपने टिकट सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है जिससे आम यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब न सिर्फ कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल हो गया है, बल्कि वेटिंग टिकट भी इतनी आसानी से नहीं मिल पा रही है। नए नियमों के तहत अब सिर्फ 25% सीटों पर ही वेटिंग टिकट जारी किया जाएगा। यानी अगर किसी ट्रेन में 300 सीटें हैं, तो केवल 75 यात्रियों को ही वेटिंग टिकट मिलेगा। उसके बाद टिकट रिजर्वेशन सिस्टम सीधे ‘नो रूम’ या ‘रिग्रेट’ का मैसेज दे देगा।

Railway Waiting Ticket Rules रेलवे टिकट सिस्टम में बड़ा बदलाव – CRIS का नया नियम :

रेलवे ने 15 जून से अपने इनफॉर्मेशन सिस्टम CRIS (केंद्र रेलवे सूचना प्रणाली) के तहत टिकट जारी करने की प्रक्रिया को और सख्त बना दिया है। इस बदलाव के पीछे रेलवे का तर्क है कि इससे टिकटिंग व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और अनावश्यक भीड़ कम होगी। पहले यात्रियों को वेटिंग टिकट आसानी से मिल जाता था, जिससे उम्मीद रहती थी कि टिकट कंफर्म हो जाएगा। लेकिन अब सिर्फ 25% वेटिंग की सीमा तय होने से वेटिंग टिकट मिलने की भी संभावना घट गई है।

Railway Waiting Ticket Rules  कम वेटिंग टिकट, ज्यादा कंफर्म होने की उम्मीद – लेकिन मुश्किलें बढ़ीं :

रेलवे का कहना है कि इससे कंफर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ेगी और सिर्फ वही यात्री सफर करेंगे जो सही मायनों में ट्रैवल करना चाहते हैं। लेकिन इस बदलाव का दूसरा पहलू यह है कि अब यात्रियों को वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से लोग जनरल कोच की ओर जा रहे हैं, जहां पहले से ही खचाखच भीड़ रहती है। कई बार जनरल में भी जगह नहीं मिलने पर यात्री स्लीपर या एसी कोच में पेनल्टी देकर चढ़ने की कोशिश करते हैं, जिससे यात्रियों और टीटीई के बीच झगड़े की स्थिति बन रही है।

Railway Waiting Ticket Rules पहले क्या थे नियम, और अब ये है नए नियम

सोर्स: दैनिक भास्कर

पहले के नियमों में ट्रेन की सीट क्षमता से भी ज्यादा वेटिंग टिकट जारी कर दिए जाते थे। जैसे अगर ट्रेन में 300 सीटें थीं तो करीब 100 से 200 वेटिंग टिकट आराम से कट जाते थे। इससे यात्रियों को त्योहारी सीजन में भी टिकट मिलने की संभावना रहती थी। कई बार वेटिंग पर भी यात्री ट्रेन में चढ़ जाते थे और बाद में सीट कंफर्म हो जाती थी। अब नई व्यवस्था में सिर्फ कुल सीट का 25% ही वेटिंग के रूप में मिलेगा। उसके बाद कोई भी टिकट जारी नहीं किया जाएगा, चाहे बाद में कितनी भी सीटें खाली क्यों न हो जाएं।

Railway Waiting Ticket Rules यात्रियों की दिक्कतें – नो रूम का मतलब नो टिकट :

नई व्यवस्था से अभी की स्थिति यह हो गई है कि यात्रियों को न तो कंफर्म टिकट मिल रहा है और न ही वेटिंग। ऐसे में बहुत से यात्री बिना टिकट सफर करने का जोखिम ले रहे हैं जो पूरी तरह गैरकानूनी है। खासकर इमरजेंसी की स्थिति में यह सिस्टम यात्रियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है। बिना टिकट सफर करने पर न सिर्फ भारी जुर्माना है, बल्कि कानूनी कार्रवाई का भी खतरा बना रहता है।

Railway Waiting Ticket Rules रेलवे का पक्ष – पारदर्शिता और अवैध टिकटिंग पर रोकथाम :

रेलवे का दावा है कि इस बदलाव से फर्जी या दलालों के जरिए किए जाने वाले टिकट बुकिंग पर लगाम लगेगी। कम वेटिंग का मतलब है कि यात्रियों को पहले से ही पता रहेगा कि उन्हें सीट मिलेगी या नहीं। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और सही यात्री को टिकट मिलेगा। रेलवे ने यह भी कहा है कि आगे चलकर अगर व्यवस्था में सुधार होता है, तो वेटिंग टिकट की सीमा को फिर से बढ़ाया जा सकता है।

Railway Waiting Ticket Rules नया नियम – लेकिन यात्रियों को परेशानी ज्यादा :

हालांकि इस नई व्यवस्था से रेलवे को फायदा मिल सकता है, लेकिन आम यात्री के लिए यह फैसला अभी काफी तकलीफदेह साबित हो रहा है। बहुत सारे यात्री जिनके पास पहले वेटिंग टिकट मिल जाता था और बाद में सीट कंफर्म हो जाती थी, अब वे इस सुविधा से वंचित हो गए हैं। खासकर छोटे शहरों और आपात यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यह सिस्टम बहुत कठोर साबित हो रहा है।

 

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